एक दवा का प्रयोग 80 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं।
भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन सिर्फ़ एक दवा का प्रयोग कर आप 80 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं। जी हाँ, इस daba का सेवन करने से आप कठिन से कठिन बीमारियों से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं। अगर आपको भी होते हैं bat rog, तो पहले जानिए इस चमत्कारिक दवा और इसकी प्रयोग विधि के बारे में...
विधिः 200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50gm गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400gm मिश्री, 400gm गाय का घी तथा सौंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, ajvayan, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सुआ व कौंचा के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3gm मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे-लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
प्रयोग: प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, morning गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।) परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
इससे पक्षाघात (लकवा) , अर्दित (मुंह का लकवा) , दर्द, गर्दन व कमर का दर्द, अस्थिच्युत (डिसलोकेशन) , अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका) , जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी, हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कंपन्न आदि के साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है।
Daba के प्रयोग से पूर्व, अपनी प्रकृति के अनुसार किसी उत्तम वैद्य की सलाह अवश्य लें। लाखों गुणों को समेटे आयुर्वेदिक दवाओं के पास हर तरह के rogo को जड़ से खत्म करने की क्षमता है। लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं की ये खूबियाँ घातक भी साबित हो सकती हैं, अगर आप इसका खुद से सेवन करते हैं। आयुर्वेदिक दवाएँ कब और कैसे नुकसान पहुंचा सकती हैं, जानकारी दे रही हैं नीतिका श्रीवास्तव
अगर आप खुद ही आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करते हैं, तो आपको खास सावधानी बरतने की ज़रूरत है। इन दवाओं के भी अपने कुछ खास नियम होते हैं। अगर नियमों को ध्यान में रखकर आप आयुर्वेदिक दवाओं का sevan नहीं करते हैं, तो यही दवाएँ आपके लिए मुश्किलें भी खड़ी कर सकती हैं। आप चाहे जिस वजह से arbedik दवा का सेवन कर रहे हैं, अपनी इच्छा से दवाएँ खाते रहने से आपके शरीर पर दवाओं का असर कम होने लगता है और ज़रूरत पड़ने पर सम्बंधित bimari की सही दवाओं के सेवन से भी आपको लाभ नहीं होता।
समय के साथ-साथ लोगों का रहन-सहन भी बदल चुका है, लेकिन बात अगर arbedik की हो, तो लोगों को आज भी इस पर पूरा विश्वास है। कहते हैं कि आयुर्वेदिक दवा कभी भी नुकसान नहीं करती। शरीर की किसी भी bimari को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक दवा से बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता। इसी कारण आजकल आयुर्वेदिक दवाओं की मांग भी खूब है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आयुर्वेदिक इलाज पर इस कदर भरोसा करते हैं कि खुद से भी आयुर्वेदिक दवाएँ खाने लगते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा करना नुकसानदेह भी साबित हो सकता है।
ऐसे नियमों को जानना है ज़रूरीसेहत से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान आपके रसोईघर में मौजूद मसालों, जड़ी-बूटियों या sabjiyo से हो जाता है। हालांकि इन jadi-बूटियों के उपयोग को हेल्थ के लिए सही माना जाता है, लेकिन बात अगर वैज्ञानिक नजरिये की हो, तो विशेषज्ञ इससे पूरी तरह से सहमत नहीं होते। उनके अनुसार, हर आयुर्वेदिक नुस्खा शरीर के लिए faydemand है, इस बात को नहीं माना जा सकता है। आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करने के लिए आयुर्वेदाचार्यों ने कुछ नियम तय किये हैं, जिसके अनुसार, सूर्योदय के समय, दिन के समय bhojan करते समय, शाम के bhojan करते समय और रात में इन दवाओं को लेने का सही समय तय है। कुछ लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती, इस कारण वे इसका nuksan भी उठाते हैं। इसलिए ऐसी दवाओं का सेवन आपकी बीमारी का उपचार कर रहे आयुर्वेदाचार्य के निर्देशानुसार ही करना चाहिए।
एक प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं।
अकसर आयुर्वेदिक दवाओं की उपयोगिता के बारे में सभी लोग बात करते हैं, लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं के बीच अन्य दवाओं से होने वाले riycsan के बारे में ज़्यादा लोगों को समझ नहीं है। ऐसे लोग किसी खास तत्व की अधिकता या किसी के दुष्परिणामों की फिक्र नहीं करते, जो ग़लत है।
ज्यादा अति भी है बुरी विशेषज्ञों के अनुसार, हर चीज की अति बुरी होती है। sehat को दुरुस्त रखने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते समय हमें उसकी सही मात्रा के बारे में जानकारी नहीं होती और इसकी ज़्यादा मात्रा हमारे लिए nuksandeh हो सकती है। आयुर्वेदिक दवाएँ पूरी तरह से सुरक्षित हैं, ऐसा मानना उचित नहीं है। प्राचीन शोधों में यह दावा कभी नहीं किया गया कि आयुर्वेदिक दवाओं के dusprbhao नहीं हो सकते या उन्हें किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के बगैर लिया जा सकता है।
हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक ज़रूरतों के तौर पर अनेक rasayan , एंजाइम, हार्मोंस आदि समय-समय पर बदलते रहते हैं। अगर आप आयुर्वेदिक davayo का उपचार खुद ही करते हैं, तो इसका परिणाम नहीं मिलता और इसके विपरीत आपके शरीर को अंदर तक नुकसान भी पहुंचता है। आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन हर हाल में निर्धारित निर्देशों के हिसाब से करना चाहिए। आयुर्वेद में गिलोय को अमृत भी कहा जाता है, जिसमें डायबिटीज से लड़ने के गुण होते हैं।
लेकिन इसे भी किसी आयुर्वेदाचार्य के परामर्श से ही estemal में लाना चाहिए, क्योंकि इसका सेवन शुगर लेवल को प्रभावित करके पाचन-तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे कब्ज की समस्या हो सकती है।
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