गांव के घर की चक्की मांसपेशियों को हमेशा खुश रखे
गांव के घर की चक्की देखी होगी,आपको ताजा आटा तो देती है,ganv ke ghar ki chakki mansapeshiyon ko hamesha khush rakhe,मांसपेशियों को हमेशा खुश रखे,चक्की चलाने वाली माताओं के पैरों में दर्द नहीं है,जो माताएँ नियमित रूप से चक्की चला रही है उनको सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो रही है।गर्भाशय की स्थिति तो आसानी से बच्चा बाहर आ रहा.
आटे के बारे में ने जितना ताजा इस्तेमाल किया उतना ही बेहतरीन ए रोटी के बारे में कहते हैं। 48 मिनट के अंदर खा लेना चाहिए और पिसा हुआ आटा वह कहते हैं। कि 15 दिन से ज़्यादा पुराना कभी भी मत खाना। 15 दिन मैक्सिमम वह भी गेहूँ के लिए यह चना और मक्की और जुआरी इसके लिए तो साथ ही दिन कहा 7 दिन से ज़्यादा पुराना नहीं खा सकते। क्योंकि वह उसकी माइक्रोनी लगातार कम होती चली जाती है।
हिंदुस्तान में हजारों लाखों वर्षों से आटा ताजा बनाकर रोटी बनाने की परंपरा है। कि जो माताएँ यहाँ बुजुर्ग है इन्होंने अपना गांव देखा होगा अपने गांव के घर की चक्की देखी होगी यह चक्की पर मैंने थोड़ा रिसर्च किया कि यह क्या चीज बनाई है। हमारे ऋषि-मुनियों में यह दुनिया की ऐसी अद्भुत मशीन है जो आपको ताजा आटा तो देती है। आपके शरीर की स्वास्थ्य के और आपके अंदर की मांसपेशियों को हमेशा खुश रखे और हमारे घरों में यह जो चक्की चलाने का काम आता है।
आयुर्वेद के चिकित्सक उनके साथ मिलकर वह गांव में रहते हैं तो मैंने कहा आप गांव की महिलाओं पर अध्ययन के बारे में ज़रा पता है उनके गांव में माताएँ हैं किसी को भी सिजेरियन डिलीवरी हुई है। चलाने वाली माताओं के पैरों में दर्द नहीं है चक्की चलाने वाली माताओं को कभी भी कंधा नहीं दुख रहा नींद आ रही है। डायबिटीज नहीं है। टेंशन नहीं है। 4850 बीमारियाँ नहीं है।
कैप्टन कुक आईटीसी का उनके घरों में डायबिटीज भी है आप क्या मानते हैं। यह क्या विशेष काम कर रही है। उन्होंने मुझे समझाया वह मेरे भी समझ में आए तो 1 दिन चला कर देखिए तो आपको सबसे ज़्यादा इतना नहीं है। पेट में सबसे ज़्यादा जोर वही है और गर्भाशय में आयुर्वेद के आधुनिक विज्ञान के आसपास के एरिया में जितना हो अंग्रेज़ी शब्द वहाँ आसपास मांसपेशियाँ उनका हलन चलन रहे तरीके से मैंने खुद चला कर देखा चक्की यह सबसे ज़्यादा पेट के हिस्से में होता है।
तब मेरे समझ में आया कि जो माताएँ नियमित रूप से चक्की चला रही है उनको सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो रही है। क्योंकि गर्भाशय की स्थिति तो आसानी से बच्चा बाहर आ रहा है बिना किसी ऑपरेशन के 10 बच्चे होते थे जो एमबीबीएस नहीं है एमबी नहीं है इस बात को ध्यान में आया है। आयुर्वेद तो यहाँ तक कहना है कि माँ का गर्व सातवें महीने तक चक्की चलाने की अनुमति देता है।
मां को सातवें महीने तक चक्की चलाई जा सकती है। आठवें महीने में नहीं फिर उसको बंद कर देना अच्छा है और उसने 7 महीने की चक्की आपके लिए पर्याप्त है। कि वह बच्चा बिना सीजर के और जो बच्चे बिना सीजर के हैं उनके जीवन को आप देख ले और जो सिजेरियन है। उनके जीवन को देख ले जमीन आसमान का अंतर है। सीजर बच्चे ज़्यादा बीमार हैं।
समय-समय पर बीमारियाँ है जो बिना सीजर हैं वह सब स्वस्थ हैं दुरुस्त है तंदुरुस्त है। ब्रेन का डेवलपमेंट भी उनका अच्छा है। लॉजिक को डिवेलप करने की कैपेसिटी कल्पनाशीलता उनमें दूसरे बच्चों से ज़्यादा है।गांव के घर की चक्की मांसपेशियों को हमेशा खुश रखे.खाना बना तो 48 मिनट में खाएँ और खाना बनाने वाली जो वस्तुएँ है जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है। आटा गेहूँ का आटा 15 दिन से ज़्यादा पुराना खाएँ ज्वारी बाजरी और मक्की का आटा 7 दिन से पुराना नहीं होना चाहिए।
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